उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना के लिए जियो फेंसिंग, टैबलेट और एआई तकनीक का होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल


उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जातिवार गणना की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस बार की गणना परंपरागत तरीकों से अलग होकर पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से की जा रही है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीकों जैसे जियो फेंसिंग, टैबलेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग किया जाएगा। यह केवल आंकड़े इकट्ठा करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय, योजनाओं की प्रभावशीलता और नीतिगत सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल है।
जातिवार गणना की आवश्यकता
जातिवार जनगणना एक संवेदनशील लेकिन आवश्यक पहल है। यह स्पष्ट करता है कि समाज के किन तबकों को किस स्तर पर योजनाओं का लाभ मिल रहा है और किन वर्गों को अभी भी उचित समर्थन की आवश्यकता है। पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति जैसे समूहों की सही संख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझे बिना सरकार उनके लिए उपयुक्त नीतियां नहीं बना सकती।
इसके अलावा, जातिवार आंकड़े सामाजिक समानता के लिए भी आवश्यक हैं। इससे यह भी पता चलेगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सेवाओं तक किस वर्ग की पहुंच अधिक है और कौन से वर्ग अभी भी वंचित हैं।
तकनीकी प्रयोग की विशेषताएं
इस बार की जातिवार गणना में जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे इस प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और अधिक सटीक बनाएंगी।
1. जियो फेंसिंग (Geo-Fencing)
जियो फेंसिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी विशेष क्षेत्र की भौगोलिक सीमा को डिजिटली तय कर लिया जाता है। जब जनगणना कर्मी टैबलेट के साथ उस क्षेत्र में जाते हैं, तो वह प्रणाली स्वतः ही उन्हें ट्रैक करती है कि वे वांछित स्थान पर हैं या नहीं।
इस तकनीक का लाभ यह है कि अब कोई भी जानकारी कहीं से भी भरना संभव नहीं होगा। कर्मियों को निर्धारित क्षेत्र में रहकर ही डेटा दर्ज करना होगा। इससे फर्जीवाड़ा, डुप्लिकेशन और आंकड़ों में त्रुटि की संभावना बहुत कम हो जाती है।
2. टैबलेट आधारित डेटा कलेक्शन
जनगणना कर्मियों को सरकार की ओर से विशेष टैबलेट उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें विशेष सॉफ्टवेयर और ऐप्स इंस्टॉल किए गए हैं। इन ऐप्स के माध्यम से प्रश्नावली को भरना और सीधे सर्वर पर डेटा भेजना संभव है। इससे समय की बचत भी होगी और कागजी कार्यों की आवश्यकता भी नहीं होगी।
टैबलेट में GPS, कैमरा और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जैसी सुविधाएं भी हैं, जो कि सत्यापन की प्रक्रिया को और मजबूत बनाती हैं।
3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए AI का सहारा लिया जाएगा। एआई की मदद से यह समझना संभव होगा कि किन क्षेत्रों में किस जाति की संख्या अधिक है, उनकी आयु, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच जैसी कई सूचनाएं एक साथ विश्लेषण की जा सकती हैं।
AI यह भी बता सकता है कि किन वर्गों को किन योजनाओं का लाभ मिला है और किन्हें नहीं मिला, जिससे भविष्य की योजनाएं ज्यादा कारगर बन सकेंगी।
प्रशिक्षण व जागरूकता
इस नई प्रक्रिया के तहत लगभग सभी जनगणना कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें टैबलेट के इस्तेमाल, जियो फेंसिंग की समझ, डेटा एंट्री के सही तरीके और प्रश्न पूछने की शिष्टाचारपूर्ण विधियों पर प्रशिक्षित किया गया है।
साथ ही, लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे सही जानकारी दें। इसके लिए ग्राम पंचायतों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और नगर निकायों के माध्यम से जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
आंकड़ों का गोपनीयता और सुरक्षा
सरकार इस बात को लेकर पूरी तरह सतर्क है कि जातिवार आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखी जाए। डेटा सुरक्षा कानूनों का पूरी तरह पालन करते हुए, प्रत्येक नागरिक की जानकारी को केवल सरकारी विश्लेषण के लिए प्रयोग में लाया जाएगा, न कि किसी भी सार्वजनिक या राजनीतिक उद्देश्य से।
डेटा संग्रहण के बाद उसे एन्क्रिप्टेड रूप में सुरक्षित सर्वर में संग्रहित किया जाएगा, और विश्लेषण के लिए केवल अधिकृत अधिकारियों को ही इसकी पहुंच दी जाएगी।
सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में कदम
यह जातिवार गणना केवल जाति गिनने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के समावेशी विकास की योजना तैयार करना है। आंकड़ों के आधार पर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, महिला सशक्तिकरण, कृषि, ग्रामीण विकास और सामाजिक कल्याण की योजनाओं को प्रभावी बनाया जा सकेगा।
यह पहल अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए योजनाएं बनाने में सहायक सिद्ध होगी। इससे यह भी स्पष्ट हो पाएगा कि कौन-कौन से वर्ग अब भी मुख्यधारा से कटे हुए हैं और उन्हें कैसे जोड़ा जाए।
संभावनाएं और चुनौतियां
जहाँ एक ओर यह पहल समाज में समानता और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है, वहीं इसके सामने कई चुनौतियां भी हैं। तकनीकी प्रशिक्षण, डेटा की सटीकता, सभी नागरिकों तक पहुंच बनाना, और तकनीकी गड़बड़ियों से बचाव — ये सभी इस योजना की सफलता के लिए जरूरी हैं।
साथ ही, राजनीतिक और सामाजिक रूप से इस प्रक्रिया को लेकर विभिन्न वर्गों की भावनाओं को भी संतुलित रखना एक बड़ी चुनौती है। सरकार ने इसके लिए कई स्तरों पर संवाद कायम किया है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि किसी भी वर्ग के साथ पक्षपात न हो।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना की यह तकनीकी पहल न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण प्रयोग है, बल्कि यह सामाजिक समानता और समावेशी विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। टैबलेट, जियो फेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके सरकार पारदर्शिता, प्रभावशीलता और सटीकता को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रही है।
इस पहल के परिणाम आने वाले समय में न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकते हैं। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो अन्य राज्य भी इससे सीख लेकर अपने यहां जातिवार या सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों में इन तकनीकों का समावेश कर सकते हैं।
क्या आप चाहते हैं कि इस विषय पर एक इन्फोग्राफिक या आंकड़ों का विज़ुअल चार्ट भी बनाया जाए?
भारत-पाक तनाव के बीच मॉक ड्रिल: यूपी-बिहार समेत 244 जिलों की लिस्ट देखें
टीचर्स ऑफ द ईयर 2025 सम्मान समारोह | नवाचारी शिक्षकों को मिला मंच
Subscribe to my newsletter
Read articles from upbasic educationnews directly inside your inbox. Subscribe to the newsletter, and don't miss out.
Written by

upbasic educationnews
upbasic educationnews
UP Basic Education News is a reliable source of news, updates, and insights related to primary and upper primary education in Uttar Pradesh. This blog is specially created for teachers, students, education officials, and anyone interested in the state’s basic education system. It covers important updates from the Basic Shiksha Parishad, government orders, teacher appointments, training programs, academic calendars, student welfare schemes, and school-level initiatives. The goal is to keep readers informed about the ever-evolving educational landscape with timely and accurate information. The blog also highlights good practices in government schools, inspirational stories of educators, and policy-level decisions that impact learning and teaching in the state. Whether you're looking for official circulars or grassroots-level education news, this blog brings it all together in one place. Stay connected with UP Basic Education News to remain updated, empowered, and informed about basic education in Uttar Pradesh.