Gender Budget Statement (GBS) – हैंडआउट

1. परिचय

  • भारत में जेंडर बजटिंग पहली बार केंद्रीय बजट 2005-06 में शुरू हुई।

  • संसद में Gender Budget Statement (GBS) पेश किया गया और मंत्रालयों/विभागों में Gender Budget Cells बनाने का निर्देश दिया गया।

  • उद्देश्य → योजनाओं/खर्चों का महिलाओं और बालिकाओं पर प्रभाव पहचानना और रिपोर्ट करना।

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे माना जाता है कि बजट प्रक्रिया में जेंडर दृष्टिकोण जोड़ने से महिला सशक्तिकरण व लैंगिक समानता बढ़ती है।


2. स्वरूप/संरचना (GBS में क्या होता है?)

GBS बजट के Expenditure Profile का हिस्सा होता है (आमतौर पर Statement 13)।
इसे तीन भागों में बाँटा जाता है:

  • Part A: वे योजनाएँ जिनका 100% खर्च महिलाओं/बालिकाओं पर होता है।

  • Part B: वे योजनाएँ जिनमें 30–99% खर्च महिलाओं/बालिकाओं पर होता है।

  • Part C: वे योजनाएँ जिनमें महिलाओं/बालिकाओं हेतु 30% से कम खर्च होता है।


3. ताज़ा स्थिति (Budget 2025-26)

  • महिलाओं और बालिकाओं के लिए प्रावधान: ₹4.49 लाख करोड़

  • पिछले साल (2024-25) से बढ़ोतरी: 37.25%

  • कुल बजट में हिस्सा: 8.86% (2024-25 में 6.8%)


4. GBS कैसे काम करता है?

  1. Gender Mainstreaming (मुख्यधारा में जेंडर दृष्टिकोण):

    • मंत्रालय अपनी योजनाओं का जेंडर-विश्लेषण करते हैं।

    • अनुमान लगाते हैं कि कौन-सी योजना से महिलाओं को कितना लाभ होगा।

  2. Institutional Mechanism (संस्थागत तंत्र):

    • हर मंत्रालय/विभाग में Gender Budget Cells या समितियाँ बनाई जाती हैं।

    • इनका काम है योजना बनाते समय महिलाओं की ज़रूरतें शामिल करना।

  3. Classified Reporting (वर्गीकृत रिपोर्टिंग):

    • योजनाओं को Part A/B/C में बाँटकर संसद के सामने पेश किया जाता है।

    • इससे खर्च का जेंडर-आधारित विश्लेषण आसान होता है।

  4. Policy Use (नीति उपयोग):

    • यह आँकड़े बताते हैं कि किन क्षेत्रों (स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण आदि) में महिलाओं के लिए ज़्यादा/कम खर्च हो रहा है।

    • इससे गैप पहचान, संसाधन पुनर्संतुलन और बेहतर नीति निर्णय लिए जा सकते हैं।


5. निष्कर्ष

  • GBS केवल “महिलाओं की योजनाओं” की सूची नहीं है।

  • यह एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली है जो दिखाती है कि मुख्यधारा के बजट का कितना हिस्सा महिलाओं और बालिकाओं पर खर्च हो रहा है।

  • 2025-26 में इसका आकार अब तक का सबसे बड़ा है → जेंडर समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम।

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